सौन्दर्य की भी अपेक्षा माँ बनने और शिशु के स्वास्थ्य की दृष्टि से नारी शरीर में समुचित विकसित वक्ष का कहीं ज़्यादा महत्त्व है ।
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स्त्री शरीर के लिए वक्ष - सौन्दर्य का विशेष महत्त्व है । सौन्दर्य की भी अपेक्षा माँ बनने और शिशु के स्वास्थ्य की दृष्टि से नारी शरीर में समुचित विकसित वक्ष का कहीं ज़्यादा महत्त्व है ।
यूँयौवनावस्था में कदम रखने के साथ ही स्तनों का भी समुचित विकास शुरू हो जाता है , परंतु यदि किसी कारण से स्तन अविकसित रह जाएँ या अति विकसित होकर बेडौल हो जाएं तो चिन्ता की बात हो जाती है । स्तनों के अविकसित रह जाने के पीछे अत्यधिक दुबलापन , मासिक विकार , गभांशय की दिक्कतें , अध्कि चिंता , तनाव जैसे अनेक कारण हो सकते हैं ।
इसी तरह शरीर पर मोटापा चढ़ने , आलसी जीवन बिताने , देर तक सोने की आदत , गरिष्ठ व ज़्यादा भोजन करने अथवा समय से पूर्व अत्यधिक काम - क्रीड़ाओं में लिप्त होने , कामुक चिन्तन करने जैसे कारणों से भी स्तन अविकसित , बेडौल व ढीले हो सकते हैं ।
फिलहाल यहाँ नवयुवतियों की इस गंभीर समस्या का समाधान करने के लिए कुछ स्वदेशी उपाय सुझाए जा रहे हैं , जिन्हें आजमाकर अविकसित या बेडौल स्तनों को स्वस्थ , सुडौल बनाया जा सकता है । इतना अवश्य ध्यान रखें कि किसी भी बाह्य चिकित्सा को अपनाते हुए शरीर के आन्तरिक विकार अवश्य दूर करें । कोई भी आंतरिक या बाह्य उपचार करते हुए स्तनों के समुचित विकास के लिए योगासन व व्यायाम अवश्य अपनाएं ।
स्तन सौन्दर्य की दृष्टि से सूर्य नमस्कार , धनुरासन , चक्रासन , भुजंगासन , शलभासन , उष्ट्रासन , पर्वतासन , हस्त पाश्र्वासन , गोमुखासन आदि विशेष लाभप्रद हैं।
इनकी विधियाँ किसी योगासन विशेषज्ञ से सीखी जा सकती हैं।
- स्तन कम विकसित हों तो मालिश करने से काफी लाभ होता है । तिल , जैतून या सरसों के तेल से स्तनों की नियमित मालिश करनी चाहिए । इसी के साथ ठण्डे तथा गर्म पानी की गीली पट्टी से बारी - बारी करके सैंकने से स्तन आसानी से पुष्ट होने लगते हैं।
- घृतकुमारी की जड़ , गोरखमुण्डी , इन्द्रायण की जड़ , अरण्डी के पत्ते , छोटी कटेरी 50-50 ग्राम तथा केले का पंचांग , सहिजन के पत्ते , पीपल के पेड़ की अन्तरछाल , अनार की जड़ व छिलका , खम्भारी की अन्तरछाल , कनेर व कूठ की जड़ 10-10 ग्राम लेकर मोटा - मोटा कूटकर 5 लीटर पानी में उबालकर क्वाथ करें । जब मात्र सवा लीटर पानी बच रहे तो उतारकर छान लें तथा इसमें सरसों व तिल का तेल 250-250 मि.ली. डालकर पुनः उबालें। सिर्फ तेल रह जाए तो उतारकर ठण्डा करके इसमें 15 ग्राम शुद्ध कपूर मिलाकर रख लें । इस तेल को रात में सोते समय तथा सबेरे नहाने से एकाध घण्टे पहले स्तनों पर हल्के - हल्के मालिश करें । 2-3 माह में स्तन पुष्ट व सुडौल होने लगेंगे।
- गम्भारी की छाल 800 ग्राम तथा गम्भारी की छाल की लुगदी 200 ग्राम को सवा लीटर पानी में इतना उबालें कि चौथाई अंश शेष रह जाए । अब इसमें 800 मि.ली. तिल का तेल डालकर धीमी आँच पर पकाएं । जब सिर्फ तेल बच रहे तो उतार लें । इसी प्रकार से तीन बार गम्भारी छाल व कल्का लुगदी ) के साथ इस तेल को पकाएं । तीसरी बार में पकाने के बाद गर्म तेल में 15 ग्राम मोम डालकर उतारकर ठण्डा होने दें । कुछ ठण्डा होने के बाद तेल छानकर सुरक्षित रख लें । इस तेल की प्रयोगविधि यह है कि इसमें कपड़े की पट्टी भिगोकर निचोड़ लें तथा स्तनों के ऊपर रखकर पान के पत्ते से ढंककर बाँधदें । प्रतिदिन सोते समय रात में यह प्रयोग करें । इससे धीरे - धीरे स्तन पुष्ट , सुडौल होने लगेंगे । यह ' श्रीपर्णी तेल ' के नाम से बाज़ार में भी बिकता है ।
- Tambe के बरतन में नींबू का रस , तुलसी और कसौंदी से बनने वाला नुस्खा प्रयोग करने से स्तन उन्नत , पुष्ट और सुडौल होते हैं ।
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