पुनर्नवा नाम की यह बूटी बरसात के दिनों में उगती हैं । पुनर्नवा की जड़ को छाया में सुखाकर पीस लें और प्रतिदिन 3 ग्राम उक्त चूर्ण गाय की छाछ के साथ क्षयग्रस्त रोगी को खिलाते रहें ।
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पुनर्नवा
पुनर्नवा की जड़ को छाया में सुखाकर पीस लें और प्रतिदिन 3 ग्राम उक्त चूर्ण गाय की छाछ के साथ क्षयग्रस्त रोगी को खिलाते रहें । क्षय का रोगी को बहुत शिघ्र निरोग हो जाएगा ।
पुनर्नवा नाम की यह बूटी बरसात के दिनों में उगती हैं । अच्छी तरह सूखी हुई 12 ग्राम पुनर्नवा बूटी लें , फिर 12 ग्राम सफेद जीरा व काली मिर्च लें । तीनों को सिल पर रगड़ें । फिर इसमें 60 ग्राम गंगाजल डालकर ठण्डाई की तरह तैयार कर लें । श्वास का रोगी रवि , सोम या मंगलवार को प्रातः शौचादि से निवृत्त होकर इसे पी ले ।
यह औषधि 6 मास में केवल एक ही बार ली जाती है । रोगी ने जिस कुएं के जल में औषधि घोटकर पी है , केवल उसी कुएं के जल का 15 दिन तक प्रयोग करें , अर्थात उसी जल से शौच , स्नान , भोजन बनाना , पानी पीना आदि करे । मिर्च , हल्दी आदि का प्रयोग न करे । केवल नमक ही ले । दूध , घी का प्रयोग करे ।
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