गले के अन्दर श्वासनली के पास दो अन्थियाँ होती है जो गले के दोनो तरफ स्थित होती है इन्हे टॉन्सिल्स कहते है ।
मुँह एवं गले के विभिन्न रोग के लिए एक्यूप्रेशर से इलाज
( Cure of diseases of Mouth & Throat )
- टॉन्सिल्स ( Tonsillitis ) ,
- गले मे दर्द
- दांतो मे दर्द
- मसूड़ों में सूजन
- गला बार - बार सूखना
टॉन्सिल्स
गले के अन्दर श्वासनली के पास दो अन्थियाँ होती है जो गले के दोनो तरफ स्थित होती है इन्हे टॉन्सिल्स कहते है । वैसे इन ग्रन्थियों का प्रमुख कार्य मुँह अथवा श्वास द्वारा प्रवेश करने वाले रोगाणुओं को खत्म करना रोकना है साथ ही ये श्वेत रक्त कणो का निर्माण भी करते हैं । इस प्रकार से शरीर को रोगो से मुक्त रखने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है परन्तु साथ ही रोगाणुओ के संक्रमण की स्थिति में ये स्वयं रोग - ग्रस्त हो जाते हैं । यदि संक्रमण बराबर जारी रहता है तो ये अन्थियां फूल जाती है एव आकृति मे कठोर हो जाती है । यदि समय पर इनकी तरफ ध्यान नहीं दिया जाए तो इनमें मवाद भी उत्पन्न हो जाती है । यही मवाद धीरे - धीरे फेफड़ो तक पहुंचने लगता है जिससे अन्य कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते है ।
टॉन्सिल्स मे विकार उत्पन्न होने की दशा मे रोगी को गले में अत्यधिक दर्द , सूजन खाने पीने में कठिनाई होने लगी है खसी एवं बुखार जैसे रोगों को निमत्रण मिल जाता है ।
इस रोग में आवाज मे भारीपन आ जाता है एवं जीभ पर अत्यधिक मैल जमा हो जाता है । बच्चो में अथवा किशोर उम्र के लोगो में इस रोग की अधिकता पायी जाती है । यह रोग उनमें ठंड लगने के कारण , आइसक्रीम अथवा बर्फ का सेवन करने से , अधिक तली हुई चीजो का उपयोग करने से , बच्चों को ऊपर के दूध पिलाने से हुए विकार के कारण इत्यादि से हो जाता है ।
अंग्रेजी दवाइयो द्वारा इनका स्थायी इलाज अभी पूर्ण रूप से सम्भव नही हुआ है । अधिकांश डॉक्टर ऑपरेशन करवाने की सलाह देते हैं जिसमे इन्हें काट कर बाहर निकाल दिया जाता है।
टॉन्सिल्स की तरह ही नाक के अन्दर पीछे के हिस्से मे कुछ मांस के टुकड़े होते है जिससे श्वसन क्रिया में सहायता मिलती है परन्तु इनके अधिक बढ़ जाने के कारण परिणाम विपरीत मिलने लगता है । क्योकि इनके बढ़ जाने के कारण श्वास मार्ग मे रुकावट हो जाती है जिससे सांस लेने में कठिनाई आती है जिससे बच्चे नाक की अपेक्षा मुँह से श्वास लेते हैं । मुँह से श्वास लेना वैसे भी दुष्प्रभाव पैदा करता है ।
गले का दर्द
गले मे दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं । इनमे गले में किसी प्रकार की चोट , घाव , टॉन्सिल्स इत्यादि प्रमुख हैं । जुकाम , ठंड इत्यादि के कारण भी गले मे खराबी आ जाती है । बच्चो में मुख्य रूप से आइसक्रीम , तली हुई चीजें , मीठा इत्यादि खा लेने से गले मे सूजन आ जाती है एवं गले में गांठे उत्पन्न हो जाती हैं । आयोडीन की कमी से भी गले मे विकार उत्पन्न हो जाते है । गले मे उत्पन्न बीमारियो को दूर करने के लिए एक्युप्रेशर मे निम्नांकित प्रतिबिम्बित केन्द्रो पर प्रेशर दिया जाता है ।
दांत दर्द
दांतों मे दर्द निम्नांकित कारणों से उत्पन्न होता है , जैसे मसूड़ों के कटने से , दांत पर चोट लगने से , घाव अथवा पीप एक्युप्रेशर द्वारा निम्नांकित केन्द्र बिन्दुओ पर प्रेशर आश्चर्यजनक रूप से राहत मिलती है.
मसूड़ों में सूजन अथवा सनी
इसमे कान के नीचे , पैरो पर एव हाथो के ऊपरी हिस्से मे , गालो पर दोनों और अंगुलियों से प्रेशर दिया जाना चाहिए ।
गले में खुश्की अथवा मुँह का बार - बार सूखना
इसका मुख्य कारण यकृत की गड़बड़ी है । कब्ज के कारण भी ऐसा हो जाता है । इसमें भी नीचे दिये गये केन्द्र बिन्दु पर प्रेशर देने से आराम मिलता है.
0 टिप्पणियाँ