जड़ी - बूटियों के क्रम में पाई जाने वाली एक अत्यंत गुणकारी बूटी है अजवायन । यह हमारे रसोईघर में पाए जाने वाले अत्यधिक गुणयुक्त द्रव्यों में से एक है
अजवायन
जड़ी - बूटियों के क्रम में पाई जाने वाली एक अत्यंत गुणकारी बूटी है अजवायन । यह हमारे रसोईघर में पाए जाने वाले अत्यधिक गुणयुक्त द्रव्यों में से एक है , परंतु हम इसके गुणों से अब तक अपरिचित हैं। अजवायन को यवानी भी कहा जाता है।
अजवायन को दीप्या , यवसाठाया , उग्रगंधा , अजमोदिका , ओमा , अजमी तथा ज्वैन आदि नामों से भी जाना जाता है। अजवायन आसानी से प्राप्त होने वाली और अत्यंत गुणों से भरपूर औषधि है। अजवायन पेट के लिए अत्यंत गुणकारी है । अजवायन का पौधा चार - पांच फुट ऊंचा होता है। इसको उगाने के लिए काली मिट्टी और नदी के किनारे वाली धरती बहुत अच्छी रहती है।
- हैजा एक भयंकर रोग है , इसके लिए हर घर में अजवायन और मशकपूर होना चाहिए । जैसे - ही किसी को हैजे की शिकायत हो तो तुरंत थोड़ी - सी अजवायन और जरा - सा कपूर मिलाकर पीड़ित व्यक्ति को ताजे पानी के साथ दें। बस हैजा गायब हो जाएगा।
- अजवायन के तेल की मालिश करने से वायु से होने वाला दर्द तथा वायु शूल आदि रोग दूर हो जाते हैं।
- यदि किसी रोगी का गला सूज गया हो और उससे कफ आता हो , तब उसे गर्म पानी के साथ अजवायन दें । यह कार्य दिन में तीन - चार बार एक सप्ताह तक जारी रखें । रोगी ठीक हो जाएगा।
- बधिरता में अजवायन का रस निकालकर या अजवायन के काढ़े से कान में सेंक देने से बधिरता रोग मिटता है।
- हिचकी में देशी अजवायन अग्नि पर डालकर उसका धुआं नलकी के द्वारा नाक में चढ़ाने से हिचकी बंद हो जाती है।
- उदर रोग में अजवायन को पानी में घोटकर तनिक सा नमक मिलाकर सेवन करने से आमाशय के दोष दूर होते हैं।
- यदि उल्टी होने की आशंका हो तो अजवायन के थोड़े से दाने चबा लेने से वमन रुक जाती है।
- बच्चे का अतिसार बंद करने के लिए माता के दूध के साथ अजवायन पीसकर पिलाने से लाभ होता है।
- अजीर्ण होने पर घृत खांड की मोई के साथ या पुराने गुड़ में इसे मिलाकर खिलाने से पाचन - शक्ति बलवान होती है।
- यकृत रोग : जिनको मरोड़ पैदा होती हो उन्हें अजवायन खिलाने से यह दोष दूर हो जाता है।
- प्लीहा वृद्धि : इस रोग में प्रातः व सायं प्रकृति के अनुकूल मात्रा में अजवायन खिलाते रहने से बालक की तिल्ली सामान्य अवस्था में आ जाती है।
- पथरी और मूत्राशय : इसके सेवन से मूत्रावरोध दूर हो जाता है और पेशाब खुलकर आता है।
- शीत प्रकृति वालों को शहद के साथ और पित्त प्रकृति वालों को सिरके के साथ दें । यदि इसका कुछ काल तक निरंतर सेवन किया जाए तो पथरी गलकर निकल जाती है।
0 टिप्पणियाँ