अजवायन

जड़ी - बूटियों के क्रम में पाई जाने वाली एक अत्यंत गुणकारी बूटी है अजवायन । यह हमारे रसोईघर में पाए जाने वाले अत्यधिक गुणयुक्त द्रव्यों में से एक है

                         
                                                    Photo courtesy - wikipedia

                                          

अजवायन

         जड़ी - बूटियों के क्रम में पाई जाने वाली एक अत्यंत गुणकारी बूटी है अजवायन । यह हमारे रसोईघर में पाए जाने वाले अत्यधिक गुणयुक्त द्रव्यों में से एक है , परंतु हम इसके गुणों से अब तक अपरिचित हैं। अजवायन को यवानी भी कहा जाता है।

     अजवायन को दीप्या , यवसाठाया , उग्रगंधा , अजमोदिका , ओमा , अजमी तथा ज्वैन आदि नामों से भी जाना जाता है। अजवायन आसानी से प्राप्त होने वाली और अत्यंत गुणों से भरपूर औषधि है। अजवायन पेट के लिए अत्यंत गुणकारी है । अजवायन का पौधा चार - पांच फुट ऊंचा होता है। इसको उगाने के लिए काली मिट्टी और नदी के किनारे वाली धरती बहुत अच्छी रहती है। 

  1. हैजा एक भयंकर रोग है , इसके लिए हर घर में अजवायन और मशकपूर होना चाहिए । जैसे - ही किसी को हैजे की शिकायत हो तो तुरंत थोड़ी - सी अजवायन और जरा - सा कपूर मिलाकर पीड़ित व्यक्ति को ताजे पानी के साथ दें। बस हैजा गायब हो जाएगा 
  2. अजवायन के तेल की मालिश करने से वायु से होने वाला दर्द तथा वायु शूल आदि रोग दूर हो जाते हैं।
  3. यदि किसी रोगी का गला सूज गया हो और उससे कफ आता हो , तब उसे गर्म पानी के साथ अजवायन दें । यह कार्य दिन में तीन - चार बार एक सप्ताह तक जारी रखें । रोगी ठीक हो जाएगा।
  4. बधिरता में अजवायन का रस निकालकर या अजवायन के काढ़े से कान में सेंक देने से बधिरता रोग मिटता है। 
  5. हिचकी में देशी अजवायन अग्नि पर डालकर उसका धुआं नलकी के द्वारा नाक में चढ़ाने से हिचकी बंद हो जाती है। 
  6. उदर रोग में अजवायन को पानी में घोटकर तनिक सा नमक मिलाकर सेवन करने से आमाशय के दोष दूर होते हैं। 
  7. यदि उल्टी होने की आशंका हो तो अजवायन के थोड़े से दाने चबा लेने से वमन रुक जाती है। 
  8. बच्चे का अतिसार बंद करने के लिए माता के दूध के साथ अजवायन पीसकर पिलाने से लाभ होता है। 
  9. अजीर्ण होने पर घृत खांड की मोई के साथ या पुराने गुड़ में इसे मिलाकर खिलाने से पाचन - शक्ति बलवान होती है। 
  10. यकृत रोग : जिनको मरोड़ पैदा होती हो उन्हें अजवायन खिलाने से यह दोष दूर हो जाता है। 
  11. प्लीहा वृद्धि : इस रोग में प्रातः व सायं प्रकृति के अनुकूल मात्रा में अजवायन खिलाते रहने से बालक की तिल्ली सामान्य अवस्था में आ जाती है। 
  12. पथरी और मूत्राशय : इसके सेवन से मूत्रावरोध दूर हो जाता है और पेशाब खुलकर आता है। 
  13. शीत प्रकृति वालों को शहद के साथ और पित्त प्रकृति वालों को सिरके के साथ दें । यदि इसका कुछ काल तक निरंतर सेवन किया जाए तो पथरी गलकर निकल जाती है।

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