तपेदीक (टी. बी.) रोकने के १४ घरेलू उपाय

टी. बी का रोग किटाणुजन्य होता है। इसके अलावा प्रदुषित वातावरण में रहने से, अधिक श्रम करने से, चिंता करने से और पौष्टिक आहार न मिलने से यह रोग होता है। शुरूआत में हल्का बुखार आता है और थकान का अनुभव होता है।


तपेदीक (टी. बी.) रोकने के १४ घरेलू उपाय

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टी. बी का रोग किटाणुजन्य होता है। इसके अलावा प्रदुषित वातावरण में रहने से, अधिक श्रम करने से, चिंता करने से और पौष्टिक आहार न मिलने से यह रोग होता है। शुरूआत में हल्का बुखार आता है और थकान का अनुभव होता है। धीरे-धीरे थकान बढ़ती जाती है और खाँसी शुरू होती है और खाँसी के साथ खून भी आने लगता है। धीरे-धीरे वजन कम होता जाता है। और भूख भी नहीं लगती। छाती में लगातार दर्द रहना, अपच होना, मिचली आना और साँस लेने में तकलीफ और पतले दस्त होना और बूंद-बूंद करके पेशाब आना इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसके घरेलू उपाय निम्न लिखित हैं।

तपेदीक (टी. बी.) रोकने के १४ घरेलू उपाय 


1. केले के पत्तों को सुखाकर उसकी राख बनायें। आधा चम्मच राख शहद के साथ प्रतिदिन चाटें। इसके साथ-साथ कच्चे केले की सब्जी बनाकर खायें और दो चम्मच केले के तने का रस भी पीयें। भोजन के बाद पके केले खाने से भी रोग में काफी आराम मिलता है। 
2.  आँवला तथा सेब का मुरब्बा खाने से टी.बी. में काफी आराम मिलता है।  
3.  आधा चम्मच पीपल के फलों का चूर्णगाय के दूध के साथ लें।  
4.  प्रतिदिन आम का रस गाय के दूध के साथ पिलायें। 
5.  देशी गाय के घी में लौंग का चूर्ण बनाकर चाटें। 
6.  कच्चे लहसुन की 4 कला और 5 ग्राम अखरोट की गिरी दोनों को पीसकर गाय के घी में भूनकर खायें।  
7. गाय के दूध की लोणी में थोड़ा शहद 3 पिपल तथा 3 लौंग का चूर्ण मिलाकर 10 ग्रामदेशी बूरा मिलायें और सुबह-शाम 1-1 चम्मच चाटें।  
8. अर्जुन की छालगुलसकरी और कौंच के बीज तीनों को समान मात्रा में पीसकर गाय के दूध में पकायेंपकने के बाद 15 ग्राम देशी गाय का घी तथा मिश्री मिलाकर सेवन करें।  
9. असगंध और पीपल का चूर्ण+घी+शहद को क्रमशः 2 : 2:4:8 की मात्रा में मिलाकर पेस्ट बनाकर चाटें।  
10.आधा लीटर बकरी के दूध में कददूकस किया हुआ 10 ग्राम नारियल तथा 4 ग्राम पिसे हुऐ लहसुन को दूध में डालकर उबाले। जब दूध आधारहजाये तो थोड़ा-थोड़ा सुबह-शाम पीयें।  
11.गिलोय का सत्त और छोटी पिपली 2.5 : 1 मात्रा में चूर्ण बनाकर प्रतिदिन प्रातःकाल लें।  
12.दालचीनी का चूर्ण शहद के साथ दिन में 3-4 बार चाटें।  
13.मुलहठी का चूर्ण,शहद और मिश्री को समान मात्रा में लेकर मिलायें। तथा प्रातः काल में सेवन करें। तपेदिक में लाभ मिलेगा।  
14.लहसुन का इस्तेमाल और कच्चे नारियल का इस्तेमाल तपेदिक के कीटाणुओं को मारता है।




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